
वडोदरा के पादरा और आणंद ज़िलों को जोड़ने वाला महिसागर नदी पर बना 45 साल पुराना गंभीरा पुल आज सुबह ढह गया, जिससे हड़कंप मच गया। इस घटना में पुल के ऊपर से गुज़र रहे दो ट्रक, एक बोलेरो जीप और एक जीप समेत चार वाहन दोनों किनारों पर बह रही माही नदी में गिर गए। जिसमें अबतक 10 लोगों के मारे जाने की खबर मिली है। जबकि कई लोगों को बचा भी लिया गया है। बताया गया है कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण ये हादसा हुआ और जब यह घटना हुई तो मुजपुर समेत आसपास के गांव के लोगों की भीड़ मौके पर जमा हो गई। लोगों ने नदी में डूब रहे लोगों को बचाने में मदद की।
45 साल पुराना, जर्जर हो गया था पुल
गंभीरा पुल पर जब यह हादसा हुआ तो पुल पर कई वाहन आ जा रहे थे और पुल दो हिस्सों में बंट गया। पुल के ढहने से करीब 5 वाहन इसमें गिर गए। यह पुल 1985 में बनाया गया था। 212 करोड़ रुपये की लागत से एक नया पुल बनाने की भी मंजूरी दी गई। आणंद ज़िले को जोड़ने वाले पादरा तालुका के मुजपुर गांव के पास से गुज़रने वाली माही नदी पर 40 साल पहले यह पुल बनाया गया था। जिसे पादरा-गंभीरा पुल के नाम से जाना जाता है। यह पुल पिछले कई सालों से जर्जर हो गया था। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब वाहन उस पर से गुज़रते थे तो पुल ख़तरनाक ढंग से हिलता था।
फिलहाल, पुलिस और आपदा प्रतिक्रिया दल राहत अभियान चला रहे हैं। अब तक जिन 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, उनमें से छह की पहचान हो चुकी है – वैदिक पडियार (45), नैतिक पडियार (45), हसमुख परमार (32), रमेश पडियार (32), वखासिंह जाधव (26) और प्रवीण जाधव (26)।
प्रशासनिक उदासीनता का जीता जागता उदाहरण
गंभीरा पुल का ढहना प्रशासनिक उदासीनता का एक और उदाहरण है जिससे लोगों की जान चली गई है। यह पुल 1985 में यानी अब से 40 साल पहले बना था और जर्जर स्थिति होने के बावजूद चालू था। लगता है जैसे एक बड़ी आपदा का इंतज़ार कर रहा था। स्थानीय भाजपा विधायक चैतन्यसिंह जाला की सिफ़ारिश के बाद, राज्य सरकार ने एक नए पुल के निर्माण को मंज़ूरी दे दी थी। सर्वेक्षण भी कराया गया और नए पुल के निर्माण की योजना पर काम भी शुरू हो गया। इस बीच, गंभीरा पुल की मरम्मत कर उसे यातायात के लिए खुला रखा गया। आज की त्रासदी के बाद, यह सवाल उठ रहा है कि सरकार ने जर्जर पुल को बंद क्यों नहीं किया। अगर ऐसा होता तो आज नागरिकों की मौतें नहीं होतीं।